आचार्य श्रीराम शर्मा >> सफलता के सात सूत्र साधन सफलता के सात सूत्र साधनश्रीराम शर्मा आचार्य
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विद्वानों ने इन सात साधनों को प्रमुख स्थान दिया है, वे हैं- परिश्रम एवं पुरुषार्थ ...
सफलता के लिए आवश्यक सात साधन
ऐसे न जाने कितनी व्यवसायी, दुकानदार, मजदूर, कारीगर, अध्यापक व क्लर्क आदि काम करने वाले लोग देखने को मिलते हैं, जिन्होंने अपने काम अपने पद अथवा अपनी स्थिति में रंचमात्र भी उन्नति नहीं की। वे आज भी उसी स्थान, उसी दशा में घिस-घिस करते हुए पड़े हैं, जहाँ पर दस-बीस साल पहले थे। जबकि बहुत-से न जाने कहाँ से कहाँ जा पहुँचे हैं। इस उन्नति एवं अवनति के पीछे केवल एक ही कारण काम कर रहा होता है और वह है उन्नति करने की इच्छा-अनिच्छा।
यथास्थान घिस-घिस करते रहने वालों में उन्नति करने, नई सफलताएँ पाने की इच्छा का अभाव रहता है। सच्ची इच्छा में प्रेरणा की शक्ति भरी रहती है। जब मनुष्य एक अच्छी स्थिति पाने, स्थान से आगे बढ़ने, काम को ऊपर उठाने के लिए तड़प उठता है, व्यग्र एवं बेचैन हो जाता है, तब उसमें एक लगन जाग उठती है। वह अपनी तरक्की के साधन खोजने उपकरण इकट्ठे करने और मार्ग निकालने के लिए प्रयत्नशील हो उठता है। सच्ची इच्छा, यथार्थ आकांक्षा से प्रेरित व्यक्ति रात-दिन, उठते-बैठते, खाते-पीते एवं व्यवहार करते समय भी अपने लक्ष्य के प्रति जागरूक रहता है। वह कहीं भी क्यों न हो कुछ क्यों न करता हो उसके लक्ष्य की तस्वीर सदैव उसके सामने रहती है। जाग्रत अवस्था में तो वह अपने लक्ष्य के प्रति विचार एवं क्रियाशील रहता ही है, सोते में भी लगनशील व्यक्ति अपने लक्ष्य के ही सपने देखा करता है। अपने लक्ष्य के प्रति ईमानदार व्यक्ति उसके साथ तन-मन से एकाकार हो जाता है।
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- सफलता के लिए क्या करें? क्या न करें?
- सफलता की सही कसौटी
- असफलता से निराश न हों
- प्रयत्न और परिस्थितियाँ
- अहंकार और असावधानी पर नियंत्रण रहे
- सफलता के लिए आवश्यक सात साधन
- सात साधन
- सतत कर्मशील रहें
- आध्यात्मिक और अनवरत श्रम जरूरी
- पुरुषार्थी बनें और विजयश्री प्राप्त करें
- छोटी किंतु महत्त्वपूर्ण बातों का ध्यान रखें
- सफलता आपका जन्मसिद्ध अधिकार है
- अपने जन्मसिद्ध अधिकार सफलता का वरण कीजिए
अनुक्रम
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